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भ्रष्टाचार या शिष्टाचार

भ्रष्टाचार या शिष्टाचार

        बड़नपुर गाँव में आज बड़ी चहल पहल थी, दो वर्षों से भयंकर सूखा पड़ने के कारण आज शासन की ओर से पटवारी के माध्यम से प्राथमिक पाठशाला में किसानों को 9900-9900 रूपये की चेक मिलनी थी।
     लेखपाल की ग्राम प्रधान से पहले ही बात हो चुकी थी कि हर किसान से 200 रूपये मुझे दिलवा दो। प्रधान ने भी कुछ किसानों से अपने गुर्गो के द्वारा 300-300 रूपये ठीक करा लिए, जिनके पास नही था उनसे व्यवस्था कर के वहीं लाने को कहा गया।
   नियत तिथि और समय पर चेक वितरण कार्य शुरू हो चुका था मुश्किल से 25 चेक ही बंटी होंगी कि एक कोने में हंगामा शुरू हो गया, किसान संघ के नेता जिन्होंने कभी हल भी न चलाया था " भ्रष्टाचार बन्द करो,  बन्द करो बन्द करो।" के नारे के साथ अपनी आवाज बुलन्द कर रहे थे। बवाल बढ़ता देख ग्राम प्रधान अपनी इकट्ठा की हुयी रकम के साथ रफूचक्कर हो गये। लेखपाल के भी हाथ पैर फूलने लगे। उसने नेता जी से हाथ जोड़ कर कहा " आप जैसा कहोगे वैसा ही करूँगा।"
नेता जी ने भी रौबदार आवाज में कहा," सब अकेले अकेले ही पेलना चाहते हो, ऐसा नही होंने दूँगा, मैं तुम्हे किसी का हक नही मारने दूँगा।"

अकेले अकेले शब्द से लेखपाल को नई ऊर्जा मिली उसे लगा अगर दिमाग से काम लिया जाय तो उसकी लगभग सूख चुकी फसल फिर से लहलहा सकती है।
    उसने नेता जी से अकेले में बात करने की इच्छा प्रकट की।
  नेता जी पुराने खुर्राट थे, दोनों लोग बन्द कमरे में पहुँचे और अघोषित आय नीति पर गहन विमर्श किया।
   बाहर आकर नेता जी ने सभी किसानों को एकत्रित किया।
   " भाइयों जैसा कि आप जानते है कि सरकार द्वारा आपको जो भी सहायता दी जा रही थी उसकी बन्दरबाँट करने की तैयारी थी लेकिन मैं सही समय पर आ गया जिससे लोगों के मंसूबे सफल नही हो पाए। आप चिन्ता न करिये मैं हमेशा आपके साथ हूँ.............
  ........... लेकिन सरकारी काम में बड़ी बाधाएँ हैं अभी लेखपाल बता रहा था कि किसी का चेक में नाम गलत है,
किसी में धनराशि रकबे के हिसाब से अधिक लिख दी गयी हैं,
चेक जिसके नाम् है उसी को देना है उसमें भी कुछ लोग नही है , उनके परिवार वाले को चेक देने से मना कर रहा है। कह रहा है तहसील मुख्यालय से ले जाए।
सरकारी नियमों से तो यह भी बँधा है। क्यों न प्रति चेक 200 रूपये देकर काम निकलवा लिया जाय।"
     किसान भी समझदार थे उन्हें 100 रूपये का फायदा नजर आया सभी ने एक स्वर में सहमति दे दी।
     तब नेता जी और लेखपाल महोदय ने ख़ुशी ख़ुशी खुल्ल्मखुल्ला चेक वितरण किया किसानों ने भी 200 रूपये देकर दोनों की ख़ुशी में वृद्धि की।
     वितरण के पश्चात नेता जी ने 150 रूपये की दर से लेखपाल महोदय को भुगतान किया बाकी बचे रुपयों में अपना हक जमाया।
  लेखपाल महोदय भी ख़ुशी ख़ुशी प्रधान को कोसते हुए चले गए।
   नेता जी प्रधान जी और लेखपाल के ऊपर भ्रष्टाचार का टोपरा खाली करते हुए ख़ुशी ख़ुशी निकल लिए।
       किसान भी सब कुछ समझते हुए कुछ राहत पाकर ख़ुशी ख़ुशी अपने काम में लग गये
    हाँ प्रधान जी तो पहले ही खुश होने का कारण प्राप्त कर चुके थे।

लेखक
सौजन्य त्रिपाठी

साहित्यिक प्रतिभा के धनी श्री सौजन्य त्रिपाठी प्राथमिक शिक्षक के रूप में जनपद फतेहपुर के विजयीपुर ब्लाक में कार्यरत हैं। सामयिक घटनाओं  को तुरंत किसी साहित्यिक विधा में ढाल प्रस्तुत करने की कला में माहिर हैं सौजन्य जी फतेहपुर के शीर्ष यायावरों में गिने जाते हैं। अपनी वार्षिक आय का 20% केवल यायावरी के लिए व्यय करना आपकी आदत है। यद्यपि उन्हें घूमना नहीं अपितु प्रकृति को महसूसना भाता है। संपर्क : 09628655077

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