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ईश्वर से प्रश्न

आज प्रश्न उस परमपिता परमेश्वर, जन्म देने वाले से है l कुछ अधूरे प्रश्न जिनका उत्तर हमें अभी तक नहीं मिला है ---
प्रश्न कठिन, उत्तर भी कठिन है,
कैसे हल हम खोजें l
कौन है वो ऊपर वाला,
हम हरि या मनमौजी बोले ll
जन्म जो देता है,
तो क्या... जीवन पर हक उसका है l
जब चाहे जैसे चाहे वो,
प्राणों को हर सकता है l
कर्म हमारे अच्छॆ हो पर,
उनका कोई मोल नहीं l
बीच भँवर में बुला किसी को,
ऐसा खेलो खेल नहीं ll
जिंदगी किस पर टिकी है,
प्रभु इतना बतला दो l
दिशा - निर्देश तय कर के,
हम सबको भी समझा दो ll
जीवन को बढ़ाने वाले,
अपने नियम बता दो,
जीवन को क्षय करने वाली,
सब शर्ते समझा दो ll
फिर शर्तों को जो न माने,
उन्हें अपने पास बुलाओ  l
पर, जो नियमों पर चले,
उसे न ऐसा सबक सिखाओ ll
इस अंधेरगर्दी का,
कुछ तो नियम बनाओ l
पाप पुण्य का मतलब,
हे हरि... हम सबको समझाओ ll
खोज - खोज कर, खोज न पायी,
इन प्रश्नों का उत्तर l
आप हमें बतला दो "हे हरि",
मैं हो गयी निरुत्तर ll
जानबुझ कर जाल बिछाते,
फिर कहते, प्राणी का दोष है l
कर्म करें जब सही -सही,
फिर कहते...
पूर्वजन्म के कर्मों का दोष है ll
आज का दोष 'प्रभु' तुम,
आज हमें बतलाओ l
लम्बी गाथा नहीं करो 'हरि'
आज ही हमें बताओ ll
जीवन को सुखी बनाने वाले,
क्यों निष्ठुर हो जाते l
हम सब तो 'नर' हैं,
पर, तुम तो 'नारायण' कहलाते ll
'नर' और 'नारायण' में,
भेद 'हरि' रहने दो l
हम सबको बस हँसी- खुशी,
इस 'दुनिया' और 'परिवार' में रहने दो l
हे हरि....
रचयिता
डॉ. (श्रीमती) नीरज अग्निहोत्री
शिक्षा - एम ए, एम एड, पी एच डी
निवासी- साकेत नगर, कानपुर

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