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उदार प्रकृति

प्रकृति हमें बहुत कुछ सिखलाती है किंतु हम उसे हमेशा नज़रंदाज़ करते हैं l इतिहास गवाह है कि हमारे ऋषि मुनियों ने जो ज्ञान अर्जित किया है और वेदादि का लेखन किया ये सभी महान कार्य भी प्रकृति की गोद में बैठकर ही किये गये हैं l हमारी ये कविता भी प्रकृति के इन्हीं गुणों की ओर इशारा करती है ----
***** उदार प्रकृति ******
प्रकृति को देखो तो इक वार
प्रकृति से सीखो सुघड़ विचार
लाल, हरे, नीले, पीले और रंग कई हैं हजार l
प्रकृति......
मन कितना हो उदास किसी का
मन को प्रफुल्लित ये कर देते l
बचपन हो या प्यार की रुत हो
मन में ये अहसास जगाते l
ये है, अहसासों का संसार
यही बतलाते रंग हजार ll
प्रकृति से.....
प्रकृति हमें देना सिखलाती
ऐसा अनोखा पाठ पढाती l
निश्छल भाव है हममें जगाती
सोचो तो कितना दे जाती l
दान का भाव जगाकर हममें,
करती है उपकार ll
प्रकृति से.......
प्रकृति की गोद में ज्ञान है पलता
ऐसा मेरा इतिहास है कहता l
बड़े -बड़े ज्ञानी जो हुए हैं,
उनके जो अभिलेख मिले हैं l
उनमें ज्ञान....प्रकृति की खोज
यही बतलाते हैं सब शोध ll
प्रकृति से......
                   
रचयिता
डॉ. (श्रीमती) नीरज अग्निहोत्री
शिक्षा - एम ए, एम एड्, पी एच डी
निवासी- साकेत नगर, कानपुर

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