मुझे अगले जन्म चालाकी देना
मुझे अगले जन्म चालाकी देना
हे ईश्वर,
मेरी सुन लो,
जबसे मैंने दुनिया
थोड़ी बहुत समझी है,
अंतर्मन में जो द्वंद बसा था
उसकी गुत्थी कुछ सुलझी है।
लोगों की शारीरिक भाषा का,
जब से अल्प ज्ञान हुआ,
अगर सच कहूं तो मेरे ईश्वर,
चालाकी के विकल्प का भान हुआ।
तो ऐसा करना,
मुझ में भी यह अद्भुत गुण देना,
मुझे अगले जन्म चालाकी देना।।
जिनके साथ में बैठूं हमेशा
उनकी निंदा पीठ पीछे करूं,
जिस थाली में भोजन खाऊं
उसीमें ढेरों छेद करूं,
जो मुझ पर भरोसा करें खरा
उनका विश्वास तोड़ ही दम लूं ,
जो मेरा कुछ भला सोचें
उनका बुरा होने की चाह रखूं,
जो तत्पर रहते हो मेरी मदद को
मैं उन्हें वक्त पर सदा छलूं,
जो सादा जीवन जीते हों
बेवकूफ उन्हें मैं घोषित कर दूं,
इतराऊं, इठलाऊं अकारण
मैं भौतिकता में उतराऊं।
अगर यही जीवन है सचमुच
तो सुन लो मेरी हे मेरे ईश्वर,
मुझे अगले जन्म चालाकी देना।।
दोस्ती की केवल आहें हो
नित मतलब परस्ती कायम हो
कभी दोस्त मुसीबत में आए
घड़ियाली आंसू बहाकर मैं
छल, दंभ, द्वेष, पाखंड ओढ़कर
उसका हमदर्दी बन जाऊं,
कपटपूर्ण व्यवहार प्रयोग कर
उसे पराजित कर पाऊं,
अगर इससे ही मेरा व्यक्तित्व निखरे,
तो ऐसा करना हे ईश्वर !
मुझे अगले जन्म चालाकी देना।।
अनुशासन मुझमें किंचित न हो,
मुझसे दुर्गुण कोई वंचित न हो,
यही अगली पीढ़ी में भर जाऊं,
नाक पर बैठी मक्खी भी
मैं दूसरों से ही उड़वाऊं,
जिसका खाकर मैं छकूं कंठ तक
चूना भरपूर लगाने में उसके
मैं बिल्कुल ना शर्माऊं,
मेरे प्रभु यदि यही उचित है,
तो विनती मेरी सुन लेना
आंखों में मेरी शर्म ना देना
बस अगले जन्म चालाकी देना।।
✍️ लेखक : राजेश 'राज', कन्नौज
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