आज़ादी की चाह
आज़ादी की चाह
एक पेड़ अपनी सुरक्षा घेरे को
क्रॉस करने की कोशिश कर रहा है
वह चाहता है कि वह आकाश को छुए
और सूर्य की किरणों को अपने अंदर समाए
वह जानता है कि यह आसान नहीं होगा
लेकिन वह हार नहीं मानेगा
वह अपने जड़ों से ताकत लेगा
और अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ेगा
वह अपने आसपास की दुनिया को देखता है
और देखता है कि कैसे अन्य पेड़ भी
अपनी सुरक्षा घेरे को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं
वह उनमें से एक बनना चाहता है
जो आज़ादी की राह पर चलकर
अपने सपनों को साकार कर सके
वह जानता है कि यह एक लंबा और कठिन सफर होगा
लेकिन वह हार नहीं मानेगा
वह अपने लक्ष्य पर अडिग रहेगा
और आखिरकार वह अपनी आज़ादी हासिल करेगा
यह कविता आज़ादी की इच्छा और संघर्ष की कहानी है। यह पेड़ आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहा है, और यह संघर्ष एक लंबा और कठिन हो सकता है। लेकिन पेड़ हार नहीं मानेगा, और आखिरकार वह अपनी आज़ादी हासिल करेगा।
यह कविता हमें भी आज़ादी के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। चाहे हमारे सामने कितनी भी मुश्किलें क्यों न हों, हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने लक्ष्य पर अडिग रहना चाहिए, और आखिरकार हम अपनी आज़ादी हासिल कर लेंगे।
✍️ लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए कविता उनका नया हथियार बना हुआ है।
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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