रचनाकार और रचना
रचनाकार और रचना
रचनाकार की कल्पना का श्रृंगार,
रचना की है आत्मा का आकार।
रचनाकार की भावनाओं का सागर,
रचना में है छुपी हुई धार।
रचनाकार का सम्मान है शीश,
रचना की पवित्रता है ईश।
जिसने रचना की है वह देवता,
रचना है उसकी पूजा।
रचनाकार का सम्मान है अटल,
रचना की पवित्रता है सनातन।
जो छेड़छाड़ करता है रचना में,
वह है कलंकित मानव।
इस कविता में रचनाकार और रचना की पवित्रता को अलंकारिक भाषा में व्यक्त किया गया है। कवि कहता है कि रचनाकार की कल्पना और भावनाओं से रचना का जन्म होता है। रचनाकार का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि रचना उसके मन का प्रतिबिंब है। कवि कहता है कि रचनाकार का सम्मान और रचना की पवित्रता अटल और सनातन है।
✍️ रचनाकार : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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