मीना की कलम से
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आज मंच से मीना अपने, देती है आवाज़
उड़ने का अधिकार हमें भी,जैसे इक परवाज़।
काट रहे क्यों पंख हमारे,नर बन गये पिशाच,
हो रही अस्मिता तार-तार,लुट रही प्रियंका आज।
भूल गए क्या इसी देश में,नारी ही है पूज्य,
आदि शक्ति माँ दुर्गा के हैं,कितने सारे रूप।
क्या मर्यादा नहीं बची है, अब शिक्षा के मूल,
काम अंध हो गये युवा हैं,नैतिकता हैं धूल।
भला भोग का साधन कैसे,बैठे हमको मान,
कैसे पावन रिश्तों का तुम, कर बैठे अपमान।
कितनी ही शिक्षित हो जाये,भले आज की नार,
लाज अगर उसकी न सुरक्षित,प्रगति न आये द्वार।
शर्म करो हे दुर्व्यसनी तुम,निर्भया न हमको जान,
कितनी ट्विंकल और प्रियंका,देंगी अपनी जान।
✍️कविता तिवारी(प्रoअo)
प्राथमिक विद्यालय गाजीपुर
ब्लॉक-बहुआ
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