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भारत की गरिमा

भारत की गरिमा



भारत की गरिमा को कुछ यूं भी गाया जा सकता है
गंगा यमुना के पानी को सुधा बताया जा सकता है
कृष्णा कावेरी रेवा को मान बताया जा सकता है
उत्तर में बन गया पहरुवा हिमराज बताया जा सकता है

रामकृष्ण गौतम नानक का नाम बताया जा सकता है
सूर बिहारी तुलसी मीरा ज्ञान बताया जा सकता है
सुश्रुत चरक आर्यभट्ट चाणक्य बताया जा सकता है
पुरु प्रताप रणजीत शिव माणिक्य बताया जा सकता है

हर पल साहस की प्रतीक बन गईं नारियां बतला दो
अरि कृपाण पर सुला दिया सुत ऐसा त्याग है बतला दो
परतंत्रता में भी दुनिया को ज्ञान दिया ये बतला दो
लघु जीवन मे भी नरेंद्र ने मान दिलाया बतला दो

ऐसे रहते हैं फकीर जो राजावों को झुठला देते हैं
ऐसे राजा भी देखे हैं जो फकीर भी बन जाते हैं
तिनका गोबर वृक्ष जीव सब प्रतिदिन पूजे जाते हैं
ऋषियों मुनियों की वाणी से देवो तक संदेशे भेजे जाते हैं

भावुकता से भरे हुए हैं देश भक्ति रग रग में हैं
हैं सब एक अनेकों में भी ढलता जीवन पग पग में है
बसतें हैं सब गांव देश मे खेतों के जीवन बतला दो
दादी अम्मा बाबा काका ही हैं दर्शन बतला दो

केसरिया साझों में ढलता सूरज भी सुख करता है
पूनम की रातों में चंदा गर्वित होकर दुति करता है
नदियों को मां पर्वत प्रतीक बन चुके बताया जा सकता है
भारत की गरिमा को कुछ यूं भी गाया जा सकता है


✍ रचनाकार
    आशीष त्रिपाठी
    स0अ0
    उ0प्रा0वि0 - मवइया
    क्षेत्र - असोथर
    जनपद - फतेहपुर

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