कोटि जनों के अधिनायक
कोटि जनों के अधिनायक
आंखों पे चश्मा बदन पे धोती ।
यही तेरी पहचान है होती ।।
सत्य अहिंसा तेरे हथियार ।
माना जिसने कभी ना हार ।।
बोला नहीं करके दिखलाया ।
सच्चाई का पाठ पढ़ाया ।।
सत्याग्रह से हटे ना पीछे ।
असहयोग में मुट्ठी भींचेे।।
सविनय अवज्ञा का लगाकर धार ।
भारत छोड़ो में किया प्रहार ।।
अपने ही धुन के पक्के।
छुड़ा दिए अंग्रेजों के छक्के।।
स्वतंत्रता के कुशल शिल्पकार।
मानव नहीं तुम थे अवतार ।।
रघुपति राघव के गायक तुम।
कोटि जनों के अधिनायक तुम ।।
अधिकारों के परम याचक तुम।
युद्ध में निकले सबसे घातक तुम।।
तुम्हारे शिक्षाओं के, चीर प्रशंसक हम।
सत्य अहिंसा के आगे, नतमस्तक हम ।।
बुरी नजर, बुरी वाणी, बुरी बात से बचेंगे हम।।
सच्चाई की राह पर चल, नया इतिहास रचेंगे हम।।
स्वच्छता व पवित्रता की ओर, सब का रुख हम मोड़ेंगे।
जो भी इसमें बाधक होगा , उसको मिटा के छोड़ेंगे ।।
✍ रचनाकार:
दुर्गेश्वर राय
सहायक अध्यापक
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बलुआ,
विकास क्षेत्र - उरूवा, जनपद-गोरखपुर
मोबाइल नंबर - 8423245550
ईमेल- durgeshwarrai@gmail.com
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