शिक्षा और संस्कार
शिक्षा और संस्कार
बहुत जरूरी है शिक्षा
और साथ मे संस्कार भी,
शिक्षित समाज हो सभ्य,
तभी होगा खुशहाल भी।
सिर्फ मेरी माँ ही क्यों महान,
हर औरत का स्थान हो
और साथ सम्मान भी।
बहुत जरूरी है शिक्षा,
और संस्कारित बीज का अंकुरण भी,
यह दायित्व है एक स्त्री का ही।
जब होगी शिक्षित बेटी आज,
तभी तो देगी कल एक स्वस्थ समाज।
गवाह है इतिहास जब भी,
कमान ढीली हुई एक माँ की,
एक लड़का बिगड़ा है।
बेटे की पहली ही तो गलती है,
कहते कहते ही ये समाज पिछड़ा है।
रोक लिया होता माँ ने उमेठ कान आज,
बेटा है! जाने दो, कहकर न टाली होती बात
तो कभी कहीं न जाने पाती
गलियों में सैकड़ों द्रोपदियों की लाज।
एक स्त्री की ही देन है
कहीं शिवाजी जन्मे और
कहीं संक्रामक रावण हैं पनपे।
अब क्या करना होगा भाई?
हर शिक्षक को बनना होगा जीजाबाई।
हाँ! तभी तस्वीर बदलेगी,
जब ज्योति संकल्प की जलेगी।
शिक्षा तो बहुत जरूरी है,
जो संस्कारों के बिना सदा अधूरी है।।
✍ रचनाकार :
डॉ0 जया सिंह
प्रधानाध्यापिका
प्रा0 वि0 बसडीला रौसड़
क्षेत्र- पिपराइच
जिला- गोरखपुर
Bahut hi gyanvardhak aur sundar kavita.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता है।
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंWow mam truly nice bahut achi kavita h
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