भारत से क्यों जाती हिंदी?
दुनिया को है भाती हिंदी।
भारत से क्यों जाती हिंदी?
भारत की परिभाषा हिंदी।
जीवन की अभिलाषा हिंदी।।
लाती नहीं निराशा हिंदी ।
भर देती है आशा हिंदी।।
सारी दुनिया गाती हिंदी।
भारत से क्यों जाती हिंदी?
गंगा सी है पावन हिंदी।
बेटी सी मनभावन हिंदी।।
सद्भावों का सावन हिंदी।
तीर्थों में वृंदावन हिंदी।।
बातें सही बताती हिंदी।
भारत से क्यों जाती हिंदी?
छंदबद्ध हर कविता हिंदी।
शब्दों की है सरिता हिंदी।।
सखी सहेली वनिता हिंदी।
धर्म सनातन दुहिता हिंदी।।
सबके हृदय समाती हिंदी।
भारत से क्यों जाती हिंदी?
सूर्योदय की लाली हिंदी।
गेहूँ वाली बाली हिंदी।।
हरी भरी हरियाली हिंदी।
चूनर धानी वाली हिंदी।।
सबका हिय हर्षाती हिंदी।
भारत से क्यों जाती हिंदी?
ईश्वर की है छाया हिंदी।
ईश्वर की ही जाया हिंदी।।
मोक्षदायिनी, माया हिंदी।
हर हिंदी की काया हिंदी।।
हिंदी दिवस मनाती हिंदी।।
भारत से क्यों जाती हिंदी?
दुनिया को क्यों .............
लेखक :
पंडित सुनील नवोदित
76, स्पासा परिवार,
शिवनगर पोस्ट मानिकपुर,
जनपद चित्रकूट, पिन- 210208
नौकरी- प्राथमिक शिक्षक (परिषदीय)
संपर्क दूरभाष- 07753023513
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