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"रानी लक्ष्मी बाई"

🙏माँ शारदे को नमन🙏
                     🙏पटल को नमन🙏🌹
                  
            📌"रानी लक्ष्मी बाई"

धीर वीर गंभीर हृदय वो रानी लक्ष्मी बाई थी,
जिनकी एक दहाड़ से डरते अंग्रेज कसाई थी।
आओ करे नमन वीरांगना को........

अविरल प्रवल गंग सी चलती बाधा को वो चीरे,
शौर्य पराक्रम की देवी वो,
कभी न पग हो धीरे।
आओ करे नमन वीरांगना को........

मातु भागीरथी पितु मोरोपंत की संतान अकेली,
कानपुर के नाना की मुहबोली बहन हठीली।
आओ करे नमन वीरांगना को........

खेल खिलौने गुड्डे गुड़िया का न कभी भी शौक रहा,
बरछी ढाल कृपाण कटारी इनसे ही संबंध रहा।
आओ करे नमन वीरांगना को........

गंगाधर से ब्याही थी,दुल्हन बनी नवेली,
पुत्र रत्न भी पाके रानी फिर भी रही अकेली।
आओ करे नमन वीरांगना को........

अंग्रेज़ो को भगाने का एक वीणा वो उठाई,
जन- जन के अंतर्मन में ज्वाला तीव्र जलाई।
आओ करे नमन वीरांगना को........

जिधर भी बढ़ती मा काली की होती थी जयकारे,
अंग्रेजों के नाश के खातिर चंडी बन ललकारे।
आओ करे नमन वीरांगना को.......

अंग्रेजों को खदेड़ के शक्ति वो कालपी आई,
कालपी से ग्वालियर तक जाके दुश्मन की नींद उड़ाई।
आओ करे नमन वीरांगना को........

अपनों से खा के भी धोखा टूट न पाई सिंहनी,
दोनों कर में ले तलवारे टूट पड़ी रणचंडी।
आओ करे नमन वीरांगना को........

मनु थी दुर्गा की अवतारी, गर्दन अंग्रेजों की उतारी, 
साहस, शौर्य पराक्रम के बल क्रांति की अलख जगाई। 
आओ करे नमन वीरांगना को.....
 
नमन करूँ अभिनंदन मै तो पल-पल जाऊँ वारी,
ऐसी अदम्य वीर साहसी आई थी अवतारी।
आओ करे नमन वीरांगना को.........

✍️
स्वरचित
ममता प्रीति श्रीवास्तव(शिक्षिका)
जनपद-गोरखपुर
उत्तर प्रदेश

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