भूल गए हम सारे पाठ
भूल गए हम सारे पाठ
याद आए स्कूल हमारा
आती हमको मैडम जी याद
दिन चढ़े ढले जब रात
करते हम बस यही फरियाद
सुन लो जरा हमारी बात !
कैसा यह साल रहा,,,, जिसमें
भूल गए हम सारे पाठ,,,।
ना रहा अब कुछ भी याद,।
बंद हुआ है जब से,,
अपना यह प्यारा स्कूल ,,
भूल गए हैं हम हंसना
भूल गए स्कूल,,,!
होठों से मुस्कान गई
सब संगी साथी छूटे हैं ।
याद में आपकी मैडमजी
हम पकड़ किताबें रोते हैं ।
आपके बिन ना पढ़ पाए
हम कोई भी पाठ,,।
भूल गए हम सारे पाठ,,,,।
गुम है हमारी कॉपी किताबें
जाने कहां गुम है बस्ता ।
भूल चुके अब लगता है
स्कूल पहुंचने का रस्ता ।
हम नन्हो से घर के सब
करवाते बहुत ढेर से काम ।
कभी नहीं लेते हमसे
पढ़ने का नाम,,।
सारे दिन बस कूदा, फादी
लड़ते एक दूजे के साथ ।
लिखने ओ मैडम जी,,!
चलते नहीं अब हमारे हाथ।
जो सुंदर अक्षर,,
हाथ पकड़ आपने सिखाएं।
वो हो गए अब टेढ़े,, मेढ़े,,
जो समझ में ना आए ।
ना ही गिनती याद रही अब
ना याद आए पहाड़े,,,
घर के अंदर बस खा पीकर
हो गए हम बेचारे,,।
मैडम जी सुन लो जरा हमारी बात
जल्दी से स्कूल खुलवाओ
हमसे मिलने गांव आओ ।
ले चलो अब हमें अपने साथ
फिर से पढ़ना सिखलाओ।
जो भूले पाठ उन्हें ,,,,
फिर से याद कराओ ।
होता ना अब इंतजार
बंद कमरों में पड़े पड़े
हो गए हम बेकार ,,।
भूल गए हम सारे पाठ ,,,।
भूल गए सारे पाठ,,।।
✍️
दीप्ति राय (दीपांजलि)
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय रायगंज खोराबार गोरखपुर
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