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बात निकली है तो दूर तलक जाएगी

बात निकली है तो दूर तलक जाएगी

 आंधियों में भी चिराग जलते हैं
 तूफान गर कोई आ भी जाए ,
 थामे  न तेरा कोई दामन,
 तो निराश न कर मन,
रोशनी जो होगी दिए से,
 तो दूर तलक जाएगी।
जो अंधी आंखों में कल के   
 सपने सजाए बैठे हैं,
मैं उनकी कपकपाती सांसो में,
विश्वास का मंजर भरने आया हूं,
जिन्हें नसीब न हुई दो वक्त की रोटी,
उनके भूखे सपनों को 
नव सतवर प्रदान करने आया हूं।
 झीलों सी गहरी आंखों में,
जो गम की उदासी छाई है,
आशा रूपी बादल से,
 मैं आज बरसने आया हूं।
 बंजर भूमि को खलिहान, 
 बनाने फिर आया हूं,
 मैं अपने  नयनों में 
 हिंदुस्तान की रूह समेट लाया हूं।
जब शिक्षा शिक्षकों का संकल्प बनेगी,
फिर ज्ञान गंगा की निर्मल धार बहेगी,
 तब यह चाणक्य   भूमि
 फिर से चंद्रगुप्त   उप जाएगी,
बात निकली है तो दूर तलक जाएगी।

✍️
 जितेंद्र यादव स0अ0
प्राथमिक विद्यालय मूंगापुर
विकासखंड बसरेहर, इटावा
ए आर पी जसवंतनगर, इटावा

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