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शिवत्व की राह

शिवत्व की राह 

शिव के चरणों में पार्वती आई,  
तप की अग्नि से शक्ति जगाई।  
सौम्य हृदय, धैर्य का आधार,  
नारी शक्ति का सृजन अपार॥  

शिव विरक्ति, शांत रस धारा,  
स्नेह समर्पण प्रेम अपारा।  
साधना में संकल्प जो जागे,  
संग उसी का शिव अनुरागे॥  

न ताज, न सिंहासन उनका,  
गले सर्प, नीलकंठ रूप मनुज का।  
सादगी का सन्देश सुहाना,  
सच्चे मन से शिव को पाना॥  

पार्वती सम नारी तपस्विनी,  
संघर्ष में भी बनी विजयी।  
धैर्य, समर्पण, प्रेम की मूरत,  
हर स्त्री में दिखती उनकी सूरत॥  

शिव-पार्वती विवाह का ज्ञान,  
त्याग, तपस्या, स्नेह महान।  
संयम, धैर्य, प्रेम जो सीखें,  
जीवन में शिवत्व को दीखें॥  

✍️   प्रवीण त्रिवेदी 

शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए साहित्य उनका नया हथियार बना हुआ है। 


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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