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महाकुंभ

महाकुंभ

प्रयागराज की नगरी में
बना है यह संयोग 
१४४ वर्षो में एक बार 
बना महाकुंभ का योग।

गंगा ,यमुना, सरस्वती की 
पावन यह त्रिवेणी  
धर्म, आस्था ,विश्वास की
नदियाँ  महापर्व  की वेदी।

आस्था के इस महाकुंभ में
पहुंच  रहे  है सब नर नारी
पाप मिटा लें ,पुण्य कमा ले
ऐसा अवसर अबकी बारी।

 साधू  संतों की भीड़
 लग रही है संगम के तीर
 बना अद्भुत ,अकल्पनीय  
 प्रयागराज यह तीर्थ ।

 सोचा थोड़ा  पुण्य कमा लूँ 
 मैं भी अबकी कुंभ नहा लूँ
 डुबकी मैं इसबार  लगा लूँ
 जाकर  संगम तीर ।

✍️
शालिनी श्रीवास्तव "सनशाइन"
सहायक अध्यापिका
पीएमश्री कम्पोजिट पूर्वमाध्यमिक विद्यालय  गुलहरिया
विकास खंड-भटहट 
गोरखपुर  उत्तर प्रदेश

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