पक्ष-विपक्ष
पक्ष-विपक्ष
जब भी देखो, खड़े विपक्ष में हैं,
आप आगे तो हम पृष्ठ में हैं।
आपने कह दिया कि दिन निकला,
हम अड़े हैं अभी तिमिर-पक्ष में हैं।
जो हक़ीक़त लगे, वही झूठी,
सच सदा तो विवाद-पथ में हैं।
आप चाहें तो फूल हैं काँटे,
हम कहेंगे कि ज़ख़्म गंध में हैं।
क्या कहें, प्रवीण किसको मनाएं,
सब अपने-अपने तर्क में हैं।
✍️ शायर : प्रवीण त्रिवेदी "दुनाली फतेहपुरी"
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए साहित्य उनका नया हथियार बना हुआ है।
परिचय
बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।
शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।
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