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बेटी से मां तक की यात्रा

बेटी से मां तक की यात्रा


आंगन से लगा चौका 
चौके में बैठी अम्मा ,
सोंधी सी महकी रोटी , 
सब्जी में महकी धनिया 
चौके से बोली अम्मा ,
ले आओ पानी पीढ़ा ,
बुला लाओ पिताजी को ,
भैया को बुला लाओ ,
थाली कटोरी लाओ ,
घी गुड भी मिला लाओ ,
फिर बैठ तुम भी  खाओ ,.... 
रोटी तो देके आओ ,
फिर बाद में तुम खाओ ।
 
सयानी हुई तुम बिटिया ,
चौके से बोली अम्मा ........

सीखो बनाना खाना ,
बेटी से मां है बनना ,
चौके से बोली अम्मा ।
उस दिन से मन है भारी ,.
बस पेट ही भरा है 
मन भूखा ही पड़ा है l

बेटी से मां की यात्रा का 
पथ कठिन बड़ा है ।

✍️  ' प्रसून '

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