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""बसंत पंचमी""

""बसंत पंचमी""

मानव जीवन में यौवन बड़ा ही मतवाला ,
वैसे प्रकृति का यौवन बसंत है निराला।।

तेज होती गुनगुनी धूप मन को बहुत भावे,
काव्य प्रेमियों को यही रुत आकर्षित कर जावे।।

खत्म बात पुरानी हुई शुरू हुई नई कहानी,
बसंत बहार लेकर आया ऋतुओं को चढी जवानी।।

रंग बिरंगे फूलों ने फैला दी है सुनहरी चादर,
हरियाली ऐसे फैली जैसे गागर में सागर।।

आशाएं मन में उठे ऐसे मन को छुआ,
संशय सारे उड़ गये बनकर जैसे धुंआ।।

हिंदू त्यौहार बसंत पंचमी लागे मनभावन,
विद्या की देवी सरस्वती का पूजन पावन।।

आम पेड़ पर मांजर आता, तितलियां मंडराती,
सरसों चमके सोने सी गेहूं बाली खिल जाती।।

भंवरे गुंजन करते रहते फूलों पर बहार छाए,
वसंत ऋतु का स्वागत करने मन मयूरा गाए।।

ऋषि पंचमी नाम से किया जाए उल्लेख,
पुराणों, शास्त्रों, काव्य ग्रन्थों में इसका आलेख।।

कलम आज जय बोल वीणावादिनी की सस्वर,
मां के अर्चन पूजन को मन रहे हमेशा तत्पर।।

✍️
नम्रता श्रीवास्तव (प्रधानाध्यापिका)
प्राथमिक विद्यालय बड़ेहा स्योंढा
क्षेत्र-महुआ जनपद-बांदा

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