अवनि
उषा काल उज्ज्वल -उज्ज्वल 
लालिमा बरसती अवनि पर।
दिनकर किरणे स्वर्णिम-स्वर्णिम 
होती परिवर्षित अवनि पर।।
खग वृन्द सरस मकरंद मधुर
विस्तारित करते पवन संग।
परिवेश पुष्प-पुट मधुर-मधुर
होते सुसवासित अवनि पर।।
सर सर बहती शीतल समीर
शुभ सरस स्पर्श सा करती है।
झिलमिल हरीतिमा लहर-लहर
दुल्हन सी बनी  सँवरती है।।
तम को अब शीघ्र मिटाने को
रवि किरण धरा में उतरती है।
रुन-झुन रुन-झुन नव यौवना सी
प्रकृति इस भोर विचरती है ।।
रचनाकार : 
✍  शानू दीक्षित
प्राथमिक विद्यालय मोटेपुरवा 
नरैनी ब्लॉक जनपद बांदा
उत्तर प्रदेश

 
 
 
 
 
 
 
 
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