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और मैं तुझमें ......


तू मेरे कलेजे का टुकड़ा ,
मेरा ही अंश ,
तू मुझमें ,मैं तुझमें ,
तेरे साथ मेरा साया 
मेरे साथ तेरे बचपन ,
बचपन से भी पहले की ,
मीठी ,चुलबुली यादें ,
 नम करती हैं आंखें , 
 कभी हंसाती कभी रुलाती ..
बहुत कुछ है मेरे साथ तेरा,
  मुझमें ,
और मैं तुझमें ......
 नहीं तुझसे दूर मैं ,
या मुझसे दूर तू l
तेरी आंखों से देखूंगी संसार ,
तेरी मुस्कराहट तेरी हंसी में 
खिलखिलाऊंगी ,
तेरी हर सफलता में ताली बजाती 
दिखूंगी मैं ....
तेरे हर संघर्ष में तुझे हिम्मत दिलाती ,
मैं ....तुझे हारने नहीं दूंगी ।
सदा रहूंगी तेरे साथ ,
मेरी ममता मेरा विश्वास ,
सदा रहेगा तेरे साथ ....
मैं हूं तुझमें , तू मुझमें ... .
बस यही एहसास ,
  और जीने की चाह
सफलता ,असफलता ,संभव असंभव ,
हार तो कभी जीत 
सुख और दुख 
हंसी और आंसू ..
 मजबूत बनाते हैं .
जीवन को रंगीन बनाते हैं 
सब आते हैं चले जाते हैं ...
कुछ भी रुकता नहीं .
बस सत्य है और आवश्यक है तो केवल कर्म ,
चलते रहना अनवरत समय के साथ
यदि हम हैं कर्मशील....
 तो पार होंगे हर पड़ाव ...
चाहे धूप हो या छांव ,
कदम ढूंढ लेंगे राह ...
याद रहे,.....मेरे लाल!
मैं तुझमें ,
तू मुझमें....... 

✍️ प्रसून मिश्रा 
बाराबंकी

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