मुफ्त की मौज
मुफ्त की मौज
घसीटे: घूरे, तू तो बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं करता है! फेल हो जाएगा!!
घूरे : अरे छोड़ न यार! बीटेक/एमबीए करो फिर नौकरी वाला झंझट पालो!
घसीटे : तो? बढ़िया तो है! इसमें बुराई क्या है??🤔
घूरे: क्या घंटा बढ़िया है!! 10 घंटों की प्राइवेट नौकरी और तनख्वाह 20-25 हजार। वो भी गुड़गांव, बंगलोर, नोएडा, मुंबई, पूना, सूरत जैसे बड़े शहरों मे! वहाँ किराए का घर होगा जिसमें आधी तनख्वाह चली जाएगी। खुद का घर चाहिए तो लोन लेकर 4-5 मंजिल ऊपर बक्सानुमा फ्लैट लो और एक गुफा जैसे बंद घर में रहो। लोन चुकाने में 15-20 साल लगेंगे, त्यौहारों में छुट्टी भी नहीं मिलती! घर से दूर रहो वो अलग!!
दूसरी तरफ अगर परीक्षा में फेल हो गए तो पापा गांव की कोई लडकी देखकर ब्याह कर देंगे। कोई टैक्स का लफड़ा नहीं। और उससे भी बडी बात- सारी सरकारें हमारे वोटों के लालच में हर चुनाव से पहले हमारा हर तरह का सारा लोन माफ कर देगी, मुफ्त में टायलेट, घर, तमाम तरह की पेंशने, मुफ्त इलाज, मुफ्त राशन और बच्चों की मुफ्त पढाई, भोजन, ड्रेस, जूते, मोजे, स्वेटर, टैबलेट, लैपटॉप सब मिलेंगे ही।
और पता है इस सबका खर्च चुकायेगा कौन? अरे वही तेरे जैसे नौकरी करनेवाले लोग अर्थात समाज के बैल!!!! दुनिया भर के तमाम तरह के टैक्स भरते रहेंगे और कुढते रहेंगे!!
घसीटे: यार घूरे, तेरी बात मे दम तो है! जला एक बीडी मेरे लिए भी! अब मैं भी फेल ही हो जाऊँ वही ज्यादा अच्छा है!!!
🤣😂🙈🙈
लेखक : फूल सिंह कछवाह
शिक्षक, फतेहपुर।
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