बालगीत
बालगीत
दिन डूबे तो होती रात,
चुप से अच्छा कर लो बात ।
सर्दी -गर्मी बहुत सताती,
सुबह से पढ़ते शाम हो जाती।
धूप-छांव का खेल अनोखा,
विश्वास को मत देना धोखा।
नया - पुराना किसने देखा,
सुख-दुख की जीवन रेखा।
सही-गलत का भेद न माना,
जिसको आना उसको जाना।
प्रेम करो मत नफरत पालो,
सच बोलो तुम झूठ को टालो।
✍️ निरुपमा मिश्रा 'नीरू'
जिला बाराबंकी
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