" जीवन"
" जीवन"
जीवन के इस धूप छांव में,
आशा और निराशा है।
लू के थपेड़ों से लड़ के जीतो,
यही जीवन की अभिलाषा है।
जीवन के सफर में है बडे़ झमेले,
फिर भी कुछ कर गुजरने की आशा है।
संघर्षों से रत इंसा पाता है शिखर,
यही तो जीवन की मूल परिभाषा है।
कर परिश्रम कहीं ना कदम लड़खड़ाए,
यही प्रीत भरी मेरी उम्मीद आशा है।
यात्रा जीवन की है हम मुसाफिर सभी,
नित खुशियों के शिखर पर चढ़ें,
यही महत्वाकांक्षा है।
सुख हो या दुःख हो हम हंस के चलें,
सबके चेहरे पर मुस्कान के दीप जलाने की अभिलाषा है।
प्रगति के पथ पर चल,
पा के उन्नत शिखर।
अपनों को कभी जाना न भूल,
यही ममता के हृदय की आशा है।
✍️
ममताप्रीति श्रीवास्तव (शिक्षिका)
गोरखपुर, उत्तर -प्रदेश
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