है अनोखी हिंदी भाषा
है अनोखी हिंदी भाषा
मातृ-भाषा,पितृ-भाषा,
है हमारी सखी भाषा।
स्नेह पूरित, लावण्यमयी,
ओज, तेज़,प्रकाशमयी,
जग की न्यारी मेरी भाषा।
है अनोखी हिंदी भाषा।।
भावपूर्ण , विवेकपूर्ण
सम्मान जनक है मेरी भाषा
श्रेष्ठता की पराकाष्ठा,
तेजोमय उज्जवल है भाषा
है अनोखी हिंदी भाषा।।
साहित्य का अनुराग हो या
लेख ,कविता ,राग हो
प्रेम पूर्वक होती समाहित
प्रियतम की प्रेयसी सी भाषा,
हो जगतविख्यात पा के लेखनी की पुर्णता,
रत्नाकर सी गहन गहरी,
गंभीर है ये मेरी भाषा,
है अनोखी हिंदी भाषा।।
सैकड़ो जन हो विराने,
मध्य बनती प्राण प्यारी
है कई तेरे रूप निराले,
भावमयी है मेरी भाषा,
है अनोखी हिंदी भाषा।।
विवेक शून्य है ,महान बनता
ज्ञान और पहचान बनता,
शून्य से शिखर तक ले जाती,
अनूपम अलौकिक मेरी भाषा,
है अनोखी हिंदी भाषा।।
श्रद्धा सुगंधित मंद पवन जस,
आनंदित है मेरी भाषा,
श्रेष्ठतम भावमयी वसुधा जस,
धवल वंदनीय है हिंदी भाषा,
पूजनीय है हिंदी भाषा,
है अनोखी हिंदी भाषा।।
✍️
ममता प्रीति श्रीवास्तव (शिक्षिका)
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
संपर्क सूत्र- 9794787549
No comments