अपना गणतंत्र दिवस
अपना गणतंत्र दिवस
मनभावन सुहावन अपना
गणतंत्र दिवस आया है।
संविधान से जुड़े नाते को
फिर से समझाने आया है।
संविधान की भाषा कर्तव्यों का
रंग बताने आया है।
नील नभ के विस्तृत आंगन में
फिर तिरंगा फहरवाने आया है।
मनभावन सुहावन अपना
गणतंत्र दिवस आया है।
गुलामी की बेड़ियों से
भारत को मुक्त कराया
उन वीरों के समक्ष फिर से
शीश झुकवाने आया है।
अश्रुपूर्ण नयनों से फिर
कर लो वंदन अभिनंदन
जो बलिदान हुए
मां की गोदी में
उन पर पुष्प चढ़वाने आया है।
मनभावन सुहावन अपना
गणतंत्र दिवस आया है।
है यह दिन बड़ा विशेष
लोगों ने किए कई संघर्ष।
गणतंत्र प्राप्त कर जन-जन को
मिला नया उत्कर्ष।
गणतंत्र ने दिया लोगों को
मतदान का अधिकार।
बन पाती है जिससे देश में मनचाही सरकार।
गणतंत्र के महत्व को
समझो और समझाओ।
चंद सुविधा, पैसों की खातिर
मतदान बिकाऊ ना बनाओ।
नहीं समझोगे तो रहेगा कैसे
देश अपना गणतंत्र।
गलत हाथों में जाकर फिर
हो जाएगा परतंत्र।
मनभावन सुहावन अपना
गणतंत्र दिवस आया है।
अब हम सब को लड़ना होगा
ऊंच-नीच तजना होगा।
जो गद्दार पड़े देश में
उन को दंडित करना होगा।
संविधान ने अधिकार दिए
उसका निज पालन करना होगा।
गणतंत्र हमारा बना रहे
कुछ प्रण हमको करना होगा।
जो रखें गौरव,प्रतिष्ठा देश की
अब पुनः कुछ ऐसे
नेता चुनना होगा।
प्यारा गणतंत्र है हम सबका
इसका सम्मान करना होगा।
आया पुनः फिर
मनभावन सुहावन गणतंत्र दिवस
हृदय से स्मरण करना होगा।
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दीप्ति राय "दीपांजलि "
सहायक अध्यापक
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