उदा देवी की शहादत
llउदा देवी की शहादतll
जिंदगी नश्वर है कुछ ऐसा काम कीजै
जमाने में कुछ ऐसा ही नाम कीजै
नवाबों के शहर लखनऊ की कहानी है,
जिसको याद कर आँखों में आता पानी है,
नवाब वाजिद अली शाह लखनऊ के नवाब रहें,
देश की स्वतंत्रता को लेकर उनके बड़े ख्वाब रहें,
मक्का पासी एक वीर नौजवान रहा,
साहसी पराक्रमी सेना की वो शान रहा,
नवाब की बेगम सिकन्दर महल की रखवाली में,
पत्नी उदा देवी भी शामिल हुई देखभाली में,
काली वर्दी में सेना रहा करती थी,
कभी कभी सुनहरे रंग भी पहनती थी,
अंग्रेजों ने आक्रमण करने की ठान लिया,
पेड़ पर बैठी उदा देवी ने पहचान लिया,
सोलह नवम्बर अठारह सौ सत्तावन,
सुबह की बेला थी मौसम था मनभावन,
गोरी पलटन सिकन्दर बाग में आ पहुँची,
उनको देखकर उदा की बंदूक और तलवार है चमकी,
अकेले वीरांगना ने बत्तीस को वही मारा है,
फिर गोरी पलटन ने गोलियों से संहारा है,
कैल्विन कैम्बेल ने हैट को उतार दिया,
धन्य तुम वीर हो उदा को सलाम किया,
ऐसी वीरांगना की ये धूमिल हुई कहानी है,
जिसने देश पर त्यागी अपनी जवानी है,
धन्य हो उदा धन्य तेरी माया है,
ऐसे बलिदान पर देश को गर्व आया है,
धन्य हो देह देश जो देश के काम आईं,
तू तो अमर हुई कीर्ति दुनिया ने गाई,
धन्य हो वीरता का तूने मिसाल दिया,
देश की क्रांति में प्राणों का बलिदान दिया।
✍️रचयिता
दीपक कुमार यादव (स•अ•)
प्राoविo मासाडीह
विकास खण्ड-महसी
जनपद-बहराइच
मोबाइल:9956521700
Shandar
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार
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