हम सबको माधव बनना होगा
हम सबको माधव बनना होगा
क्यों धृतराष्ट्र बने बैठे हैं,
न निगल सके जिसे ऐसा घूँट पिये बैठे हैं।
भुजाओं से पिघला सकते लौह भीम को भी,
फिर क्यों ऐसा पुरषार्थ लिये बैठे हैं।।
फिर क्यों आज सभा में धृतराष्ट्र बने बैठे हैं.....
नयन बन्द करने से,
कानो में ध्वनि बन्द न होगी।
दिल को चीर कर रख दे,
वो चित्कार कम न होगी।।
ले सकते भीष्म प्रतिज्ञा हम भी,
फिर भी मौन लिये बैठे हैं।
धरा कर दी हो क्षत्रिय विहीन जिसने,
खुद को उनका शिष्य कहे बैठे हैं।।
फिर क्यों आज सभा में भीष्म बने बैठे हैं....
केश खींच जो बन रहे दुःशासन,
जो दुर्योधन बन कर रहे चीर हरण।
सूर्य तेज से धारण होकर भी,
हम उनके मित्र बने बैठे हैं।।
ना दिला सके जो दान अस्मत का,
खुद को दानवीर कहे बैठे हैं।।
फिर क्यों आज सभा में कर्ण बने बैठे हैं...
धर्म के कानून में,
बंध गया हो गांडीव जहाँ।
गुलामी में जकड़ा हो ,
दस हजार गजों का बल जहाँ।।
वहाँ हमे अब बदलना होगा,
धृतराष्ट्र तुम्हें कुछ करना होगा।
भीष्म तुम्हें कुछ कहना होगा,
कर्ण तुम्हें अब उठना होगा।।
हर बार आ जायें माधव,
अब यह संभव नहीं।
हम सबको माधव बनना होगा,
एक हाथ से चीर बड़ाकर।
दूजे में सुदर्शन लेना होगा।।
हम सबको माधव बनना होगा....
✍️ चन्द्रहास शाक्य
प्रा0 वि0 कल्यानपुर भरतार-2
वि0ख0- बाह, जनपद - आगरा
कोई टिप्पणी नहीं