मैं तो खद्दर की बलिहारी
राजा डूब मरो बलधारी ,
मैं तो खद्दर की बलिहारी,
खद्दर पहन के बापू निकले,
देखो निकली जनता सारी।
मैं तो खद्दर की बलिहारी ।
नयी व्यवस्था अत्याचारी,
तेरी उसमें जाने की तैयारी,
जनहित पर निजहित भारी,
ओ राजा डूब मरो बलधारी,
मैं तो खद्दर की बलिहारी।
इस खद्दर ने अंग्रेज खदेड़े,
भागी फौज फिरंगी सारी,
बहिष्कार का अस्त्र चलाया,
स्वदेशी अपनाने की तैयारी ,
मैं तो खद्दर की बलिहारी ।
राजा डूब मरो बलधारी ।
✍ रचनाकार :
प्रदीप तेवतिया
हिन्दी सहसमन्वयक
वि0ख0 - सिम्भावली,
जनपद - हापुड़
Bahut khoob sir ji
जवाब देंहटाएंBahut hi sundaar Kavita hain
Very nice 👌👌
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