बुढ़वा के पेंशन
बुढ़वा के पेंशन
जहिया पेंशन आवता,
सभे खूब खियावता।
सरवन बनिके बाबू तहिया,
खूबे जूस पियावता॥
उ राति गइल उ बाति गइल,
अब सभे ओके गाँसता।
बैठ दुआरे बूढ़ बेचारा,
रहि-रहि के खाँसता॥
टुकुर-टुकुर ताकि रहल बा,
जेके देखे टोकऽता।
बात त केहू सुनते नइखे,
कुकुर नियर भोंकऽता॥
गिन -गिन के दिन गिनेला,
एक तारीख कब आई।
तीस दिन के घोर अन्हरिया,
उजर दिन तब आई॥
✍️अलकेश मणि त्रिपाठी "अविरल"(सoअo)
पू०मा०वि०- दुबौली
विकास क्षेत्र- सलेमपुर
����धन्याबाद आपको����rabindra kumar kasim abad ghazipur BFA,Bed
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