विश्वास
दो विश्वास हमें तुम इतना ,
टूट ना पायें हम कभी ।
कर्तव्य पथ पर बढ़ते जाएँ ,
कर्तव्य पथ पर बढ़ते जाएँ ,
भूलें ना हम राह सही ।
हार की वेदी पर हम ,
शीश ना कभी झुका पाएँ।
शीश ना कभी झुका पाएँ।
चरण अभिनन्दन कर हिमगिरि का ,
अम्बर तक छा जाएँ ।
अम्बर तक छा जाएँ ।
अन्धकार के पर्वत को ,
चूर चूर हम कर पाएँ ।
तिलक लगाकर मातृभूमि का ,
आगे कदम बढ़ाएँ ।
वेदों की भाषा को हम ,
सम्पूर्ण विश्व में फैलाएँ,
जगत जननी माता के दर्शन ,
जगत जननी माता के दर्शन ,
सारे जहाँ को करवाएँ ।
प्रेम हमारा हो इतना गहरा,
जाति भेद को मिटा पाएँ ।
सूर्य अलौकिक होकर हम ,
प्रकाश जगत में फैलाएँ ।
रचनाकार
अर्चना रानी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मुरीदापुर,
शाहाबाद, हरदोई।
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