गुरु की महिमा
सत्य सनातन श्रेष्ठ है, सकल सृष्टि का सार।
गुरु चरणों में स्वर्ग है, वंदन बारम्बार।१।
गुरु चरणों में स्वर्ग है, वंदन बारम्बार।१।
जीवन दुर्गम जलधि सम, भ्रमित फिरें नर-नार।
गुरु किरपा ही कर सके, भवसागर से पार।२।
गुरु किरपा ही कर सके, भवसागर से पार।२।
मानव माटी मान लो, गुरु जानो कुम्हार।
थाप-पीट औ तपन से, गढ़ता नव आकार।३।
थाप-पीट औ तपन से, गढ़ता नव आकार।३।
गुरु की महिमा क्या कहूँ, गुरु से गुरुतर कोय।
गुरुवर के आशीष से, सुफल मनोरथ होय।४।
गुरुवर के आशीष से, सुफल मनोरथ होय।४।
धन-मद में जो चूर हैं, सुनो पवन के बोल।
मात, पिता, गुरु तीन ये, जगती पर अनमोल।५।
मात, पिता, गुरु तीन ये, जगती पर अनमोल।५।
रचयिता
डॉ0 पवन मिश्र
उ0 प्रा0 वि0 - बरवट,
बहुआ, जनपद फतेहपुर
डॉ0 पवन मिश्र
उ0 प्रा0 वि0 - बरवट,
बहुआ, जनपद फतेहपुर
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