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कृष्णा प्रिया हूँ मैं

भाव,  भक्ति प्रेम रंग
डूबी सी मैं बावरी
ढूंढती प्रिय कृष्ण की
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

'ललित' कलाओं से सजी
मुदित हृदय से भरी
झंकृत वीणा की धुन सी
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

सावन में छायी घटा
श्याम वर्ण मेघ सी
रिमझिम फुहारों सी
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

गरजते हैं मेघ जब
बरसते हैं नयन तब
तरसते से नयनों की
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

कृष्णमय हो गयी हूँ
ढूंढ -ढूंढ कृष्ण को
तृष्णा से भरे मन की
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

कृष्ण मिले हैं मुझे
या मिलेंगे अभी
घूमती भ्रमित सी
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

मायावी संसार की
माया में उलझी हुयी
उलझती -सुलझती
भटकती-तरसती
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

कृष्ण सिर्फ कृष्ण ही
प्रश्न यह अनुत्तरित
उत्तर को खोजती
प्रतीक्षा में प्रतीक्षारत
कृष्ण सिर्फ कृष्ण की
कृष्णा प्रिया हूँ मैं ।

।। जय श्री कृष्ण ।।

लेखिका
डॉ0 अनीता ललित मुदगल,
प्रधानाध्यापिका
श्री श्रद्धानंद प्राथमिक पाठशाला
नगर क्षेत्र झींगुरपुरा मथुरा  (उ0प्र0)

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