Breaking News

सर्टिफिकेट

पप्पूआ में संवेदनशीलता के साथ-साथ मनबढ़ई कूट-कूट कर भरी थी.संवेदनशील इस मामले में कि वह शासन और स्कूल के नियमों से भली भांति वाकिफ था.जब मन हुआ स्कूल आना एवं चले जाना, उसके मनबढ़ स्वाभाव को इंगित करता था.दिन भर मुंह में गुटका रखना एवं घुच्ची खेलना उसकी आदत बन गयी थी.पढ़ाई के नाम पर अपने दोस्तों से कहता....चल बे..पढ़ले से केहू राजा भइल बा...एको नाम बताउ..हम्मे त  केवल ८ पास क सर्टिफिकेट चाहीं एही खातिर नाव लिखा लेहलीं.सर्टिफिकेटवा मिल जाई त बंगलउर में कन्टराज (contract) मिलले में आसानी रह..ला.
        किशोरावय पपुआ का अन्तिम लक्ष्य पेंट-पॉलिस का कन्टराजर बनना था. चर्चा-चर्चा में वह कहता रहता .....अबे..इ..तुलसिया ...कबीरवा...अपने घूम-घूम के पता नाही का का प्रपंच लिख गइलें अउर छोड़ गइलें हमन् के माथापच्ची करे के खातिर...पानीपत १,२,३....तराइन ...खानवा के युद्ध जब भइल त भइल..ओकर हमरे जीवन में का महत्व बा...बीजगणित... रेखागणित में उलझ के का होइ...पर्वत..पठार...मैदान....पढ़ि के का करब...इ हमके रोटी देइ....बताव....
       कद - काठी से तो सामान्य था...लेकिन बीच वाली उंगली को न्यूनकोण बनाते हुए फैट बांधते हुए मुट्ठी बांधता तो साथी सूरमाओं को पसीना आ जाता, तभी तो गुरू जी को उसे बुलाने के लिए क्लास के ५-६ सूरमाओं के साथ जाना पड़ता था.अभी गुरू जी बच्चों को बुलाने के लिए पूरब टोले कीओर गये थे....तभी श्यामू को भनक लग गयी कि गुरू जी अब दक्खिन टोले की ओर रूख करने वाले हैं..
श्यामू: पप्पू चल स्कूल चल...गुरू जी इधरै आवत बांटें....काल्हि..कहत रहलें वजीफा वाले लिस्ट में तुहार नाव नाही भेजल जाइ...अऊर नाम भी काट दिहल जाई...
पप्पू: मूरख न बनाव...इहे देखत तीसरा साल हो गइल....तूं पा गइलअ्..वजीफा...हर दम वजीफा के नाम पर धमकी....ना जाइब...रहल बात नाम कटलै क.....केहू क हिम्मत नाही बा कि नाम काट दै....अन्तिम शब्द के कान में पड़ते ही गुरू जी....(जो पहुंचने वाले थे) को अपना रूख स्कूल की ओर करना पड़ा.
      गुरू जी पपुआ को कागज में जिलाने की जुगत मे लगे रहे और अगोरने लगे सलाना परीक्षा की तिथि की घोषणा को..........इन्तजार खत्म हुआ..८वीं की परीक्षा तिथि घोषित हुई.गुरू जी की धड़कन बढ़ गयी थी....समस्या था पप्पू....
    परीक्षा के दिन पप्पूआ सिर पे कत्ती बांधे..कमर के नीचे तक आधुनिक जींस पहने (जिसमें चकती की तरह पाकिट शोभायमान हो रही थी),३-४ शागीर्दों के साथ सीटी बजाते, दोनों बांहै पहलवानों की तरह भांजते, परीक्षा कक्ष में घुसा.गुरू जी गऊ की भांति निहारते रहे....५_६ दिन सिलसिला यूं ही चलता रहा...परीक्षा खतम हुआ.बताया गया कि रिजल्ट ३१ मार्च को घोषित होगा.
              समय आ गया....परिणाम घोषित हुआ....औ.....र...पप्पू भी पास हो गया.गुरू जी भी इतने खुश थे कि मानो वे ओलम्पिक में गोल्ड जीत लिए हों.
    पप्पू सर्टिफिकेट लहराते हुए गा रहा था......
     ..................मैं तो पास हो गया.
पास होकर देखो, कैसे तन गया.
ये जींस मेरा देखो, ये शर्ट मेरा देखो...

डॉ0 अनिल कुमार गुप्त,
प्र०अ०, प्रा ०वि० लमती,
बांसगांव, गोरखपुर

1 टिप्पणी: