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राष्ट्र का गौरव


इस देश का गौरव बड़ा महान है बच्चों ।
रक्षा करोगे इसकी बड़ी शान से बच्चों ॥ 

इसकी महानता में हुए रामकृष्ण है,
बुद्ध महावीर की यह ज्ञानपीठ है।

है सोने की चिड़िया समान नाम ये बच्चों,
रक्षा करोगे इसकी बड़ी शान से बच्चो।

साहस से काम लेकर इसे अखण्ड रखकर ,
सबको गले लगाकर, माला समान बनकर,
प्रेम की डोरी में एक साथ पिरोकर।

रोशन करोगे नाम को हरबार ऐ बच्चों,
रक्षा करोगे इसकी बड़ी शान से बच्चों।

हिमगिरि का मुकुट है यहां गंगा-यमुना का प्रेम है,
गीता, कुरान, वेद, शबद साहब का स्नेह है,
सबका मिला हुआ अखण्ड देश का संदेश है।

उस महकी हुई आशा को लो सम्भाल ऐ बच्चों,
रक्षा करोगे इसकी बड़ी शान से बच्चों।

फाह्यान, ह्वेनसांग हैं यहाँ आये,
गौरव का गान वे इसका खूब है गाये,
घी, दूध, की नदियां बही हैं यही पाये।  

उस बीती को याद करके बढ़ो आज से बच्चों,
रक्षा करोगे इसकी बड़ी शान से बच्चों।

हिन्दू व मुस्लिम जवां सिख ईसाई,
सबने है मिल के देश की शान बढ़ाई,
हैं बम्ल कि पुकार न लो अब जम्माई।

आगे बढ़ो, आगे बढ़ो चालक ये बच्चों,
रक्षा करोगे इसकी बड़ी शान से बच्चों।


स्व0 श्री कृष्ण किंकर मिश्र
पूर्व बेसिक शिक्षक
प्रा0वि0टेकवार, बांसगांव
जनपद - गोरखपुर

1 टिप्पणी:

  1. बहुत सुन्दर....रचना में बच्चों से देश-प्रेम, देश-सेवा की अपेक्षा खूबसूरत शब्दों द्वारा की गई है... स्व0 मिश्र को नमन।

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