बढ़ चलो तुम भी होकर मगन
मन में आशा की लेकर किरन।
बढ़ चलो तुम भी होकर मगन।।
राह में काँटें होंगे बहुत ही,
साथ में न दिखता कोई भी।
दिल में भर कर के ढेरों उमंग,
बढ़ चलो तुम भी होकर मगन।।
रात में जब तलक हो अंधेरा,
दूर दिखता बहुत हो सवेरा।
हाथ में लेकर दीपक को संग,
बढ़ चलो तुम भी होकर मगन।।
काम के बोझ तले जिंदगी हो,
न ही कोई बची दिल्लगी हो।
करना फिर से शुरू तुम जीवन,
बढ़ चलो तुम भी होकर मगन।।
काँटों में खिलते हैं वो गुलाब,
आसों से मिल जाए वो क्या ख्वाब।
हर पल सपने की लगाकर अगन,
बढ़ चलो तुम भी होकर मगन।।
उलझनें सब सुलझ जाएँगी तब,
ईश-विश्वास हो जब खुदी पर।
मन में करके प्रभु का भजन,
बढ़ चलो तुम भी होकर मगन।।
लेखक
अनुराग शर्मा
मीरगंज, बरेली।
मो0:- 9917523686
Heart touching
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