बस याद यही अब बात रही
दुर्मिल सवैया
शिल्प- आठ सगण चार पद
(112)8
12-12 मात्राओं पर यति
(1) अगली पिछली सब बात गई,
बस याद यही अब बात रही
मन प्रेम पगा नहिँ रैन कटै,
सुन लो मुझसे यह बात सही
छवि नैनन में बस प्रीतम की,
मुझसे यह बात न जात कही
बहकी महकी चलती पुरवा,
प्रिय से मिलना अब होन चही
(2) अपना अपना निज काम करो,
कर काम महान सुनाम करो
तुम सेवक हो इस भारत के,
यह बात सदा मति ध्यान धरो
यदि बात कहो अपने मुख से,
उन बातन से कबहूँ न टरो
तुमको यदि मान मिले न मिले,
तुम मान किसी जन का न हरो
लेखक
निर्दोष कान्तेय
शिल्प- आठ सगण चार पद
(112)8
12-12 मात्राओं पर यति
(1) अगली पिछली सब बात गई,
बस याद यही अब बात रही
मन प्रेम पगा नहिँ रैन कटै,
सुन लो मुझसे यह बात सही
छवि नैनन में बस प्रीतम की,
मुझसे यह बात न जात कही
बहकी महकी चलती पुरवा,
प्रिय से मिलना अब होन चही
(2) अपना अपना निज काम करो,
कर काम महान सुनाम करो
तुम सेवक हो इस भारत के,
यह बात सदा मति ध्यान धरो
यदि बात कहो अपने मुख से,
उन बातन से कबहूँ न टरो
तुमको यदि मान मिले न मिले,
तुम मान किसी जन का न हरो
लेखक
निर्दोष कान्तेय
बहुत खूब +निर्दोष दीक्षित जी :)
जवाब देंहटाएंक्या बात है निर्दोष जी........ अब यहाँ कविता के रसास्वादन के साथ साथ शिल्प ज्ञान भी होता रहेगा.....
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार त्रिवेदी जी व अशोक जी !!
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