बिन तेरे... बिन तेरे...
क्या करूँ ...? क्या कहूँ...? बिन तेरे...
क्यों रहूँ...? क्यों जियूं...? बिन तेरे...
तुम से मिलना बातें करना
क्या हसीं इक ख़्वाब था...?
मेरी आहें मेरी रातें
जाने वो माहताब था...
ज़ख्म को मैं क्यूँ सियूं...?
और यूँ मैं तनहा क्यूँ रहूँ...? बिन तेरे...
गुज़रेगी अब लग रहा है
शाम यूँ तन्हाइयों में,
घुल रही है कुछ उदासी
रात की परछाइयों में,
चाह कर जो आस पूरी
कर ना पाया आज तक तो,
अब करूं क्या...? अब गुनूँ क्या...?
बिन तेरे... बिन तेरे...
.
क्यूं खता ये हो गई समझूँ न मैं...
जान कर सब बात क्यूँ जानूं न मैं...
क्यूँ...? तुम्हारे पास था अब दूर हूँ मैं.....
बिन तेरे... बिन तेरे...
क्यों रहूँ...? क्यों जियूं...? बिन तेरे...
तुम से मिलना बातें करना
क्या हसीं इक ख़्वाब था...?
मेरी आहें मेरी रातें
जाने वो माहताब था...
ज़ख्म को मैं क्यूँ सियूं...?
और यूँ मैं तनहा क्यूँ रहूँ...? बिन तेरे...
गुज़रेगी अब लग रहा है
शाम यूँ तन्हाइयों में,
घुल रही है कुछ उदासी
रात की परछाइयों में,
चाह कर जो आस पूरी
कर ना पाया आज तक तो,
अब करूं क्या...? अब गुनूँ क्या...?
बिन तेरे... बिन तेरे...
.
क्यूं खता ये हो गई समझूँ न मैं...
जान कर सब बात क्यूँ जानूं न मैं...
क्यूँ...? तुम्हारे पास था अब दूर हूँ मैं.....
बिन तेरे... बिन तेरे...
हम तो " तेरे बिन " वाली पीढी के ;)
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया असर भाई
जवाब देंहटाएंउम्दा अश'आर.... बहुत ख़ूब अशोक जी
जवाब देंहटाएंप्रवीण जी और निर्दोष जी....... आप दोनों को हार्दिक धन्यवाद!
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