बच्चे (ग़ज़ल)
स्वप्न ज्यों साकार या फ़िर ईश का अवतार बच्चे
देश के उत्थान और भविष्य का आधार बच्चे
ज़िन्दगी की रौनकें ये, ये नहीं तो कुछ नहीं है
जीवन सफ़र में नित नया जोश का संचार बच्चे
है कठिन जीवन सफ़र ये हर घड़ी हर ठाँव मुश्किल
पर समर में चल पड़े हैं थाम कर तलवार बच्चे
अब न मैं ज़्यादा कहूँगा बस कहूँ इतना हि यारों
तेज़ तूफ़ाँ नाव छोटी, हैं फँसे मझधार बच्चे
खो रहा बचपन सुहाना और घायल दिल हुआ है
या ख़ुदा मुझको बचा लो, कर उठे चित्कार बच्चे
खेल सा अब हो गया है होड़ में बच्चों क जीवन
बस बना के रख दिया है अब यहाँ बाज़ार बच्चे
ढो रहे उम्मीद भारी नाज़ुक बड़ा तन-मन लिये
बोझ बस्तों का उठाये पीठ पर लाचार बच्चे
हूँ बड़ा नासाज़ मैं औ याचना मेरी सभी से
कुछ करो ऐसा बचा लो अब मिरे सरकार बच्चे
अरकान :-फाइलातुन, फाइलातुन, फाइलातुन,फाइलातुन
वज्न : २१२२, २१२२, २१२२, २१२२,
काफिया : आधार, संचार आदि
रदीफ : बच्चे
बहुत खूब निर्दोष भाई।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएं(h) (h) (h) (h) (h) (h)
जवाब देंहटाएंखो रहा बचपन सुहाना और घायल दिल हुआ है
जवाब देंहटाएंया ख़ुदा मुझको बचा लो, कर उठे चित्कार बच्चे......
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बहुत खूब निर्दोष जी.........
शुक्रिया साहेबान !!
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