अति प्रेम की
मैं जानती हूँ ,अति सर्वत्र वर्जित है
सकारात्मक में नकारात्मक सदा रंजित है
ईश्वर प्रदत्त प्रकृति का ये नियम सदा
बसंत के सौन्दर्य में, पतझड़ भी तो संचित है
जहाँ अति विश्वास है ,वहीँ विश्वासघात है
जहाँ सुखों की अति ,वहीँ दुःख का आघात है
निर्दोष,निश्छल और पवित्र जहाँ बस्तियां
छल,कपट और षड्यंत्रों का वहीँ निवास है
निर्माण नवीन है प्रतिक्षण ,निश्चित क्षय भी है
जीवन संगीत की धुन मधुर,मृत्यु की बेसुरी लय भी है
खिलखिलाती हंसी चेहरों पर ,वहीँ मन उदास भी
साहस के प्रतिमान जहाँ ,वहीँ दुबका भय भी है
प्रेम में अति किन्तु निश्चय ही पूज्य है
जिस में है नहीं अति वह प्रेम ही शून्य है
अति और प्रेम परस्पर पूरक हैं सदा
अति से ही तो प्रेम हुआ सम्पूर्ण है
सीमाओं में बंधा प्रेम मुझे स्वीकार नहीं
सीमित हो सके जो वह कदापि प्यार नहीं
'किन्तु','परन्तु','यदि' जैसे प्रश्नचिन्हो के
प्रति उत्तर में मिले ,वह प्रेम निस्वार्थ नहीं
श्रद्धा,करुणा,भक्ति से प्रेम का विस्तार करुँगी
तुम्हारी प्रत्येक स्वीकृति मैं स्वीकार करुँगी
हर रूप में तुमसे मैं असीमित प्यार करुँगी
हो यह अपराध यदि,तो भी इसे शत नमस्कार करुँगी
सकारात्मक में नकारात्मक सदा रंजित है
ईश्वर प्रदत्त प्रकृति का ये नियम सदा
बसंत के सौन्दर्य में, पतझड़ भी तो संचित है
जहाँ अति विश्वास है ,वहीँ विश्वासघात है
जहाँ सुखों की अति ,वहीँ दुःख का आघात है
निर्दोष,निश्छल और पवित्र जहाँ बस्तियां
छल,कपट और षड्यंत्रों का वहीँ निवास है
निर्माण नवीन है प्रतिक्षण ,निश्चित क्षय भी है
जीवन संगीत की धुन मधुर,मृत्यु की बेसुरी लय भी है
खिलखिलाती हंसी चेहरों पर ,वहीँ मन उदास भी
साहस के प्रतिमान जहाँ ,वहीँ दुबका भय भी है
प्रेम में अति किन्तु निश्चय ही पूज्य है
जिस में है नहीं अति वह प्रेम ही शून्य है
अति और प्रेम परस्पर पूरक हैं सदा
अति से ही तो प्रेम हुआ सम्पूर्ण है
सीमाओं में बंधा प्रेम मुझे स्वीकार नहीं
सीमित हो सके जो वह कदापि प्यार नहीं
'किन्तु','परन्तु','यदि' जैसे प्रश्नचिन्हो के
प्रति उत्तर में मिले ,वह प्रेम निस्वार्थ नहीं
श्रद्धा,करुणा,भक्ति से प्रेम का विस्तार करुँगी
तुम्हारी प्रत्येक स्वीकृति मैं स्वीकार करुँगी
हर रूप में तुमसे मैं असीमित प्यार करुँगी
हो यह अपराध यदि,तो भी इसे शत नमस्कार करुँगी
प्रेम सीमा रहित सीमा है जिसे महसूसना केवल उनके लिए ही सम्भव है जो वास्तविक प्रेम को समझते हैं पर आजकल इसका बडा ही अभाव दिखता है सब स्वार्थ वश ही कर रहे है जानबूझकर थोडे ही........
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंवाह ज्योति जी।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा आपने।
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धन्यवाद मास्टर जी :) आपने इतनी आची फोटो लगा के रचना को विस्तार दे दिया
हटाएंप्रेम में अति किन्तु निश्चय ही पूज्य है
जवाब देंहटाएंजिस में है नहीं अति वह प्रेम ही शून्य है.......
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क्या बात है ज्योति जी...... पराकाष्ठा की बात कर दी आपने.......
thanku raghuvanshi ji :)
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