"मातृ दिवस"
"मातृ दिवस"
माँ से बड़ा कोई नहीं
माँ के बराबर कोई नहीं,
जिनके चरणों में जन्नत
जिनका साथ ही चारों घाम,
मिलती उन्हीं से सांसे
मिलता उन्हीं से सम्मान,
हर रुप में माँ निराली है
सच में माँ ही सबसे प्यारी है,
अपने भूखी रहीं हैं
बच्चों की भूख मिटती है,
सारे झंझावात खुद सहती
मन पीड़ा को किसी से नहीं कहती,
माँ के बराबर कोई नहीं
मन मंदिर की पूजा है
पहली गुरु पहली ज्ञाता है,
सर्वत्र विद्यमान है माँ
एक दिन मातृ दिवस नहीं मेरा
हर दिवस मातृ दिवस होता,
सुबह शुरू रात में अन्त होता
ईश्वर की प्रतिरूप है माँ,
मेरे जीवन की गीत है माँ
वही मनमीत वही प्रीत
वही वक्षस्थल में ,
माँ के बराबर कोई नहीं
माँ...................
मुखमंडल को पढ़ लेती है
कर्तव्य पथ पर प्रेषित करती है
कही तू पीछे हटते हो
तो खुब डांट लगाती है
माँ है जनाब वह
बिना कहें सब जान जाती है,
कितने भाग्य वाले है
जिनके पास माँ होती है,
दूर है तो भी कोई गम नहीं
मैंने उन्हें कभी अपने से
दूर किया नही,
भीड़ हो या अकेले
हर समय साथ रहती है माँ,
माँ के बराबर कोई नहीं
✍️
डॉ. पूनम मिश्रा
बड़हलगंज गोरखपुर
उत्तर प्रदेश
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