माँ तुम्हें प्रणाम
तन समर्पित
मन समर्पित
राष्ट्र पर जीवन समर्पित
नमन बारम्बार है
माँ तुम्हें प्रणाम है।
युद्ध के पावन समर में
ले खड्ग दोनों ही कर में
अधर पर एक नाम है
माँ तुम्हें प्रणाम है।
पग में बिखरे शूल चाहें
हो निरुद्ध प्रत्येक राहें
चलना निरंतर काम है
माँ तुम्हें प्रणाम है
हँसते-हँसते मृत्यु की
बलिवेदी पर चढ़ जायेंगे हम
स्थिति प्रतिकूल हो तो भी
डटकर लड़ जायेंगे हम
राष्ट्रसेवा ही हमारे हेतु
चारो धाम है
माँ तुम्हें प्रणाम है।।
✍️
'कविराज' दिग्विजय सिंह
शिक्षक-प्रा०वि० दलपतपुर
जनपद-गोंडा
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