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हाय आबादी

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रात की नींद और दिन का चैन
हर सुख हुआ हराम
हाय आबादी बनी बर्बादी 
दुर्लभ हुआ आराम 
सोचा न समझा
खड़ा किया परिवार बड़ा
मुश्किल पेट की पूजा हो गई
बोझ धरा पर भी  बढ़ा
सुबह-व-शाम और रात-ओ-दिन
रात-ओ-दिन और सुबह-व-शाम
घर मे मच रहा कोहराम
रात की नींद और दिन का चैन
हर सुख हुआ हराम
हाय आबादी बनी बर्बादी 
दुर्लभ हुआ आराम 
बचे न एक भी पैसा
खर्च बढ़ा है इतना ऐसा
उम्र है जोकि
अभी पढ़ने की
संग साथियों से हँसने की
और लड़ने की 
उसी उम्र में करे है बच्चा
मज़दूरी व काम 
रात की नींद और दिन का चैन
हर सुख हुआ हराम
हाय आबादी बनी बर्बादी 
दुर्लभ हुआ आराम 
कुछ उमरिया लगे है बूढ़ा
चिंता खाए सोच सताए
सब कुछ लगे है कूड़ा
रंग न भाए , राग न भाए
हाय जीवन मे कब आए विराम
रात की नींद और दिन का चैन
हर सुख हुआ हराम
हाय आबादी बनी बर्बादी 
दुर्लभ हुआ आराम 
कहना मानो राज का 
देखो समाज आज का
निज गुलशन में 
गुल रखना दो ही भाई
लड़की हो या लड़का 
तुम कराना खूब पढाई
पढ़ के लिख के तुम्हारा 
जग में करेंगे रौशन नाम 
मिल जाएगा हर आराम 
रात की नींद और दिन का चैन
हर सुख हुआ हराम
हाय आबादी बनी बर्बादी 
दुर्लभ हुआ आराम 
छोटा हो परिवार तुम्हारा 
सीमित हो संसार तुम्हारा
तो जीवन में फैलेगा उजियारा
खुशियाँ ढूँढेंगी द्वार तुम्हारा 
फ्री सलाह है राज की 
नहीं लगेगा दाम
रात की नींद और दिन का चैन
हर सुख हुआ हराम
हाय आबादी बनी बर्बादी 
दुर्लभ हुआ आराम 

राजकुमार दिवाकर(प्रoअo)
प्राथमिक विद्यालय नवाबगंज पार्सल
वि0क्षे0 स्वार जनपद रामपुर (यूपी)

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