ज्ञान की गगरी
बात त तनि कड़वा बा,
बा मगर सच्चाई।
ज्ञान के गगरी तबे छलके,
जब रहे ना कड़ाई॥
बा मगर सच्चाई।
ज्ञान के गगरी तबे छलके,
जब रहे ना कड़ाई॥
कला से सम्बन्धित कला,
अउरी रहे पुस्तक कला।
श्रुतलेख से सुलेख लिखाव,
होखे ओमे सबकर भला॥
अउरी रहे पुस्तक कला।
श्रुतलेख से सुलेख लिखाव,
होखे ओमे सबकर भला॥
माटी के उ बरतन बने,
जेंवर से जब रसरी।
चीका में चित्त मोर बसे,
कबड्डी में टूटे नाहीं सँसरी॥
जेंवर से जब रसरी।
चीका में चित्त मोर बसे,
कबड्डी में टूटे नाहीं सँसरी॥
चिंतामनि में चिंतन होखे,
उपवन में परिहास।
खेलि के सभे बड़ हो गईल,
भईल सकल विकास॥
उपवन में परिहास।
खेलि के सभे बड़ हो गईल,
भईल सकल विकास॥
दस पैसा में टाफी मिले,
चार आना में चूरन।
मिल बाँटि के खाइल जाँ,
इच्छा हो जाय पूरन॥
चार आना में चूरन।
मिल बाँटि के खाइल जाँ,
इच्छा हो जाय पूरन॥
गुरू जी के आपन चले,
डंडा अउरी डाँट।
डगरी में लउके खाली,
मूंजियन में गाँठ॥
डंडा अउरी डाँट।
डगरी में लउके खाली,
मूंजियन में गाँठ॥
तत्सम-तद्भव याद हो जाव,
सन्दर्भ सहित व्याख्या।
रोज सबेरे स्कूली में,
लियाव सबकर आख्या॥
सन्दर्भ सहित व्याख्या।
रोज सबेरे स्कूली में,
लियाव सबकर आख्या॥
ठोंक ठेठा के सोझ जे कइल,
कइसे जइबऽ भुलाइ।
ओ पावन चरनन में,
'अविरल' शीश ल नवाइ॥
कइसे जइबऽ भुलाइ।
ओ पावन चरनन में,
'अविरल' शीश ल नवाइ॥
✍️अलकेश मणि त्रिपाठी "अविरल"( सoअo)
पू०मा०वि०- दुबौली
विकास क्षेत्र- सलेमपुर
जनपद- देवरिया (उoप्रo)
पू०मा०वि०- दुबौली
विकास क्षेत्र- सलेमपुर
जनपद- देवरिया (उoप्रo)
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