मनमीत मुस्काये ,छलके रंग हैं होली में सभी के, बहके ढंग हैं लजाये रूपराशि, विकल सजन-नैन प्रीति भाव पल्लवित,महके अंग हैं ---- निरुपमा मिश्रा " नीरू "
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