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ऐ तुगलक तू दे जवाब

ऐ तुगलक तू दे जवाब


तुगलक से सवाल

एक तुगलक था,
उसकी हस्ती थी बड़ी,
वह था एक सपने देखने वाला,
एक परिवर्तनकारी।

उसने सोचा,
अपने राज्य को बदलना है,
अपनी प्रजा को बेहतर बनाना है,
अपने देश को आगे बढ़ाना है।

पर वह भूल गया,
परिवर्तन आसान नहीं होता,
सफलता के लिए प्रयासों की ज़रूरत होती है,
असफलता का भी एक हिस्सा होता है।

उसने बदला,
राजधानी,
नाम,
आसन,
कपड़े,
परन्तु बहुत कुछ बदल नहीं पाया,
क्योंकि अनेक निर्माताओं ने,
बहुत कुछ बना दिया था।


तुगलक का जवाब

तुमने कहा,
मैं कुछ नहीं बना सका,
मैं केवल बदल सकता था,
और इसलिए मैं असफल रहा।

पर मैं कहता हूं,
मैंने प्रयास किया,
अपनी प्रजा के लिए,
अपने देश के लिए।

मेरी योजनाएं भले ही फेल हो गई हों,
पर मेरा उद्देश्य शुद्ध था,
मैंने अपनी पूरी कोशिश की थी,
और इसी में मेरी सफलता है।

तुम कहोगे,
मैंने बहुत कुछ बदल नहीं पाया,
पर मैं कहता हूं,
मैंने बहुत कुछ बदला,
मैंने सोचने का तरीका बदला,
मैंने लोगों को चुनौती दी,
मैंने उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

मैं एक सपने देखने वाला था,
और मैंने अपने सपने को पूरा करने की कोशिश की,
हो सकता है कि मैं सफल नहीं हुआ हो,
पर मैं असफल भी नहीं हुआ।

मैं एक तुगलक था,
और मैं गर्व से कहता हूं,
मैं एक परिवर्तनकारी था।



✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

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