शरद पूर्णिमा का महत्व
शरद पूर्णिमा का महत्व
धरा अपनी कितनी खुशकिस्मत,मंद-मंद मुस्काती है।
दिन दिनकर का,रात सुधाकर, का साथ पाती है।।
जीवनदायिनी धरा है अपनी,सूर्य देव की कृपा रहे।
अपना भारत अति महान है,चिरकाल से कथा कहे।।
सोलह कलाओं से पूर्ण शशि,धरा पर अमृत बरसाता है।
शरद पूर्णिमा नाम कहे जो, अश्विन मास में आता है।।
हिंदू धर्म धरा पर उत्तम,प्रकृति का पूरा सम्मान करे।
चांद सूर्य सभी देव की पूजा,सबका अपना मान रहे।।
आज की रात चंद्रदेव,पूर्ण रूप में आते हैं।
अमृत किरण की वर्षा होती,सुंदर रूप दिखाते हैं।।
शक्ति सौ गुनी किरण में होती,पूजा वंदन होता है।
रखते खीर को चंद्रकिरण में,अमृतवर्षा से वो भीगता है।।
प्रसाद रूपी खीर में,अमृत गुण आ जाते है।
सकल परिवार प्रातःकाल में इसको,श्रद्धापूर्वक खाते हैं।।
व्रत पूजा उपवास भी होते,सुख और वैभव आता है।
माता लक्ष्मी धरा पर आती,मन प्रसन्न हो जाता है।।
कलानिधि राकेश,सुधाकर,सदैव मानव का कल्याण करें।
वंशीधर भी वृंदावन में फिर से दिव्य लीला रचें।।
अति प्रेम में इंदु धरा इस रात गलबहियां मिले।
शशि विशाल रूप धर आवे,पुलकित सब किरण खिले।।
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विनोद कुमार वर्मा (स.अ.)
पू.मा.वि.बरसैनी
वि.खं.-पिपराइच
जनपद-गोरखपुर,उत्तरप्रदेश
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