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मदद का अनमोल एहसास

मदद का अनमोल एहसास

जब वक्त के तूफ़ान से,  
हर कोई मुंह मोड़ रहा था,  
तब कोई था जो चुपचाप,  
आपके दर्द को तोल रहा था।  

जब कांप रहे थे हाथ आपके,  
और हौसले कमजोर हो चले थे,  
तब किसी ने अपना सहारा देकर,  
आपके कदमों को थाम लिया था।  

दुनिया ने जो कहा "मुमकिन नहीं,"  
उसने कहा "मैं साथ खड़ा हूँ,"  
जब सबने देखा स्वार्थ का आईना,  
तब उसने अपना दिल बड़ा रखा।  

इस एहसान को मत भुलाना,  
क्योंकि ऐसे दिल नसीब से मिलते हैं।  
वो पल याद रखना हमेशा,  
जब किसी ने आपके लिए सितारे बुन दिए थे।  

जो वक्त पर हाथ बढ़ाए,  
वो इंसान खुदा का रूप होता है,  
मत भूलो उस मदद का एहसास,  
यही तो रिश्तों का स्वरूप होता है।


✍️  कवि : प्रवीण त्रिवेदी  "दुनाली फतेहपुरी"

शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए साहित्य उनका नया हथियार बना हुआ है। 


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।


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