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उलझन की हर चुनौती में छिपी सुलझन

उलझन की हर चुनौती में छिपी सुलझन


उलझन दरअसल उलझन नहीं,
यह सोच का एक गूढ़ पहर है।
जहां प्रश्नों के बीज पनपते,
वहीं उत्तरों का बसेरा है।

गांठों में छिपा है रहस्य कोई,
हर मोड़ पर छवि निखरती है।
जितना उलझते हो धागों से,
सुलझन उतनी संवरती है।

संघर्षों के तानों-बानों में,
जीवन का सत्य छिपा रहता।
हर उलझन में एक सीख है,
जो हार की चुप्पी को तोड़ कहता।

जो उलझन में घबराए नहीं,
वह राहें नई बना लेते हैं।
जो सुलझन को देख निडर हों,
वो जीत के गीत गा लेते हैं।

यह भ्रम नहीं, यह द्वार है,
सोचो, समझो और पार है।
उलझन दरअसल उलझन नहीं,
यह सुलझन का आकार है।



✍️  कवि : प्रवीण त्रिवेदी  "दुनाली फतेहपुरी"

शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए साहित्य उनका नया हथियार बना हुआ है। 


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।


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