Breaking News

सफलता के मुखौटे में छिपी हकीकत

सफलता के मुखौटे में छिपी हकीकत


चमकते सितारों की आड़ में,
छिपी है अंधेरी रात,
जहां सपनों के टूटे टुकड़े,
रोते हैं हर आह.

सफलता की कहानियां गाकर,
दुनिया को भरमाते हैं,
पर हकीकत है ये,
हर मुस्कान पीछे दर्द छुपाते हैं.

चुनिंदा लोगों की चमक,
करोड़ों की पीड़ा ढकती है,
असफलताओं के घावों पर,
जीत का मरहम चिपकाती है.

कठिन परिश्रम की बातें,
बस कहानी बनकर रह जाती हैं,
भाग्य और मौकों का खेल,
सफलता की कुंजी बताती हैं.


सपनों को तोड़कर, हौसलों को मारकर,
कुछ चुनिंदा ही आगे बढ़ पाते हैं,
पीछे छूट जाते हैं अनगिनत चेहरे,
जिनकी आवाजें कहीं नहीं सुनाई देती हैं.

यह सफलता का खेल,
कभी-कभी कितना क्रूर होता है,
जहाँ जीतने वालों को तालियां मिलती हैं,
और हारने वालों को सिर्फ दर्द होता है.

तो आइए, मायाजाल से उठकर,
हकीकत को पहचानें,
सफलता के मुखौटे को हटाकर,
दुनिया की पीड़ा को जानें.

क्योंकि सच्ची सफलता,
सिर्फ चुनिंदा के लिए नहीं होती,
यह तो वो ज्योति है,
जो हर किसी के अंदर होती है.


✍️  लेखक : प्रवीण त्रिवेदी
शिक्षा, शिक्षण और शिक्षकों से जुड़े मुद्दों के लिए समर्पित
फतेहपुर, आजकल बात कहने के लिए कविता उनका नया हथियार बना हुआ है। 


परिचय

बेसिक शिक्षक के रूप में कार्यरत आकांक्षी जनपद फ़तेहपुर से आने वाले "प्रवीण त्रिवेदी" शिक्षा से जुड़े लगभग हर मामलों पर और हर फोरम पर अपनी राय रखने के लिए जाने जाते हैं। शिक्षा के नीतिगत पहलू से लेकर विद्यालय के अंदर बच्चों के अधिकार व उनकी आवाजें और शिक्षकों की शिक्षण से लेकर उनकी सेवाओं की समस्याओं और समाधान पर वह लगातार सक्रिय रहते हैं।

शिक्षा विशेष रूप से "प्राथमिक शिक्षा" को लेकर उनके आलेख कई पत्र पत्रिकाओं , साइट्स और समाचार पत्रों में लगातार प्रकाशित होते रहते हैं। "प्राइमरी का मास्टर" ब्लॉग के जरिये भी शिक्षा से जुड़े मुद्दों और सामजिक सरोकारों पर बराबर सार्वजनिक चर्चा व उसके समाधान को लेकर लगातार सक्रियता से मुखर रहते है।

कोई टिप्पणी नहीं